सरदार सरोवर बांध के चलते नर्मदा की जैव विविधता पर होगी रिसर्च

सरदार सरोवर बांध के चलते नर्मदा की जैव विविधता पर होगी रिसर्च


बड़वानी। सरदार सरोवर बांध के चलते प्रवाहमान नर्मदा नदी जलाशय में बदल गई है। ऊपरी जिलों में भारी बारिश के चलते जीवाणु, कीटाणु और जलीय वनस्पति बहकर आ रही है। इससे वर्तमान में नर्मदा की मछलियों सहित अन्य जलीय जीव-जंतुओं पर प्रभाव पड़ रहा है। कहीं यह घातक है तो कुछ मामलों में यह लाभकारी भी है। नर्मदा की जैव विविधता पर अब रिसर्च होगी। इसके लिए बंगाल के सेंट्रल इनलैंड फिशरीज रिसर्च संस्थान बैरखपुर के वैज्ञानिकों ने नर्मदा के जल और मछलियों के नमूने लिए हैं। इसका परीक्षण बंगाल के रिसर्च सेंटर में कि या जाएगा। तीन माह में इसकी रिपोर्ट आएगी।


मत्स्योद्योग के सहायक संचालक एमके पानखेड़े ने बताया कि बंगाल के रिसर्च सेंटर से आए दल ने सोमवार और मंगलवार को भ्रमण कि या। दल में बैरखपुर के वैज्ञानिक सेजल थॉमसन, टेक्निकल ऑफिसर बाबू नस्कर व मान-डेब जीराबाद धार के सहायक मैनेजर महेंद्र उइके शामिल थे। दल सदस्यों ने बोट से नर्मदा के बीच पहुंच जल के नमूने लिए हैं। वहीं नर्मदा में पाई जाने वाली मछली की विभिन्न् प्रजातियों व जीव-जंतुओं का भी सूक्ष्म अवलोकन कि या है।


पानखेड़े ने बताया कि दल द्वारा लिए गए जल और जीव-जंतु सैम्पल को वे अपने संस्थान में सूक्ष्म निरीक्षण, परीक्षण कर जांच रिपोर्ट तैयार करेंगे। इससे नर्मदा नदी में मत्स्य जैव विविधता जीविकों के संबंध में दूरगामी प्रभाव व परिवर्तन की जानकारी मिल सके गी। इससे नर्मदा के जलीय जीव-जंतुओं को ओर समृद्ध करने में मदद मिलेगी।


स्टेट फिश 'महाशीर' पर संकट - उल्लेखनीय है कि नर्मदा की पहचान 'महाशीर' नामक विशेष मछली से है। 'महाशीर" को स्टेट फिश अर्थात राजकीय मछली का दर्जा प्राप्त है। 'महाशीर' को वैज्ञानिक भाषा में 'टोर-टोर' के नाम से जाना जाता है। सहायक संचालक पानखेड़े ने बताया कि सामान्यत: नर्मदा में मांसाहारी कि स्म की मछलियां पाई जाती हैं। वर्तमान में महाशीर प्रजाति की मछली तेजी से लुप्त हो रही है। नर्मदा जल के अनुसंधान से महाशीर के संरक्षण में भी मदद मिलेगी। वहीं ठहरे हुए मटमैले पानी के प्रभावों को जानना भी आवश्यक है।