कश्मीर के जमीनी हालात से भारतीय राजदूत ने अमेरिकी सांसदों को कराया रूबरू
नई दिल्ली। अमेरिका में भारत के राजदूत हर्षवर्धन श्रृंगला ने बुधवार (16 अक्टूबर) को अमेरिकी सांसदों को जम्मू-कश्मीर के विशेष दर्जे को समाप्त करने के बाद राज्य के हालात और वहां शांति बनाए रखने के लिए उठाए गए कदमों की जानकारी दी। शीर्ष भारतीय राजनयिक ने पहली बार सदन की विदेश मामलों की समिति के सदस्यों को कश्मीर की स्थिति के बारे में जानकारी दी, क्योंकि कई सांसदों ने कश्मीर में लगे प्रतिबंधों को लेकर असंतोष जताया है। गौरतलब है कि कश्मीर से कई प्रतिबंधों को हटा लिया गया है।
जम्मू-कश्मीर के अधिकारियों ने कहा था कि 16 अगस्त से ही प्रतिबंधों को धीरे-धीरे हटाया जा रहा है और सितंबर के पहले हफ्ते तक ज्यादातर प्रतिबंधों को हटा दिया गया है। इस दिशा में प्रमुख कदम के तौर पर 14 अक्टूबर को सभी नेटवर्क की पोस्ट-पेड मोबाइल फोन सेवाओं को बहाल कर दिया गया। कई कांग्रेस सदस्य जो समिति के सदस्य नहीं है, वे भी राजदूत की ब्रीफिंग में शामिल हुए और अधिकतर सांसद विपक्षी डेमोक्रेटिक पार्टी के थे। ब्रीफिंग में कांग्रेस सदस्य अमी बेरा एकमात्र भारतीय-अमेरिकी सांसद थे। श्रृंगला और यहां स्थित भारतीय दूतावास तथा न्यूयॉर्क, शिकागो, अटलांटा, ह्यूस्टन और सैन फ्रांसिस्को में स्थित वाणिज्य दूतावासों के अन्य राजनयिकों ने जम्मू-कश्मीर के विशेष दर्जे को समाप्त करने के बाद सैकड़ों अमेरिकी सांसदों और उनके सहयोगियों से संपर्क कर अपनी बात रखी है। 5 अगस्त को जम्मू-कश्मीर को विशेष दर्जा देने वाले अनुच्छेद 370 के अधिकतर प्रावधानों को निरस्त करने के भारत सरकार के फैसले के बाद सरकार ने स्थित सामान्य करने के लिए कदम उठाए हैं। पोस्ट-पेड मोबाइल सेवाओं को बहाल करने के अलावा, पर्यटकों को भी यात्रा करने की अनुमति दे दी गई है। लैंडलाइन फोन चालू हैं, शैक्षणिक संस्थान, अस्पताल भी खुले हुए हैं, दुकानें व व्यावसायिक प्रतिष्ठानें भी खुलने लगे हैं। उन्होंने कश्मीर मुद्दे के ऐतिहासिक संदर्भ और भारत द्वारा उठाए जा रहे कदमों के बारे में सांसदों को जानकारी दी। श्रृंगला ने एक-एक करके सांसदों के सवालों का धैर्यपूर्वक जवाब दिया। सांसदों ने गतिविधियों और संचार पर प्रतिबंध समेत कई मुद्दे उठाए। श्रृंगला ने सांसदों को आश्वासन दिया कि स्थिति पूरी तरह से सामान्य हो रही है। राजदूत ने कहा कि अधिकतर प्रतिबंध हटा दिए गए हैं और बाकी धीरे-धीरे हटाए जा रहे हैं।
फारुक अब्दुल्ला की बहन और बेटी जमानत पर रिहा
श्रीनगर। नेशनल कॉन्फ्रेंस के अध्यक्ष फारुक अब्दुल्ला की बहन सुरैया और बेटी सफिया को बीती रात जमानत पर रिहा कर दिया गया। पुलिस ने मंगलवार (15 अक्टूबर) को पूर्व मुख्यमंत्री फारुक अब्दुल्ला की बेटी और बहन समेत छह महिलाओं को हिरासत में ले लिया था। ये महिलाएं जम्मू-कश्मीर से अनुच्छेद 370 के अधिकतर प्रावधान हटाए जाने और राज्य को दो संघ शासित प्रदेशों में बांटने के विरोध में प्रदर्शन कर रही थीं।
नागरिक स्वतंत्रता और मौलिक अधिकारों की बहाली की मांग करते हुए महिलाओं ने कहा कि उन्हें केंद्र सरकार की तरफ से धोखा और अपमान मिला है। उन्होंने हिरासत में लिए गए लोगों को तत्काल रिहा करने और ग्रामीण और शहरी क्षेत्रों के विसैन्यीकरण की भी मांग की।
वहीं दूसरी ओर, जम्मू-कश्मीर को विशेष राज्य का दर्जा देने वाले संविधान के अनुच्छेद 370 के प्रावधानों को निरस्त किए जाने के बाद से कश्मीर में लगातार 73वें दिन (16 अक्टूबर) भी मुख्य बाजार बंद रहने और सार्वजनिक वाहनों से सड़कों से नदारद रहने के कारण जनजीवन प्रभावित रहा। अधिकारियों ने बताया कि शहरों और घाटी के अन्य हिस्सों में निजी वाहनों को बिना किसी रुकावट के सड़कों पर चलते देखा गया।
कश्मीर के कुल इलाकों में ऑटो रिक्शा और जिले के भीतर चलने वाली कुछ कैब को सड़कों पर देखा गया लेकिन अन्य सार्वजनिक परिवहन सड़कों से नदारद रहे। मुख्य बाजार एवं अन्य व्यापारिक प्रतिष्ठान बंद रहे। वाणिज्यिक केंद्र लाल चौक समेत कुछ इलाकों में सुबह कुछ घंटे दुकानें खुली रहीं।
अधिकारियों ने बताया कि कुछ विक्रेताओं ने टीआरसी चौक-पोलो व्यू सड़क पर दुकानें लगाईं। उन्होंने बताया कि स्कूल एवं कॉलेज खुले रहे लेकिन अभिभावकों ने अपने बच्चों की सुरक्षा को लेकर चिंता के कारण उन्हें स्कूल एवं कॉलेज नहीं भेजा। कश्मीर में सोमवार (14 अक्टूबर) को मोबाइल सेवाएं बहाल कर दी गई थीं लेकिन एक ही घंटे बाद एसएमएस सुविधा एक बार फिर बंद कर दी गई। पूर्व मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला और महबूबा मुफ्ती समेत मुख्य धारा के कई नेता अब भी नजरबंद या हिरासत में हैं।