पीएमसी बैंक का पूर्व निदेशक भी गिरफ्तार, मामले में आरोपी वाधवन प्रॉपर्टी बेचने को तैयार

पीएमसी बैंक का पूर्व निदेशक भी गिरफ्तार, मामले में आरोपी वाधवन प्रॉपर्टी बेचने को तैयार
मुंबई। मुंबई पुलिस की आर्थिक अपराध शाखा (ईओडब्लू) ने बुधवार को पीएमसी बैंक के पूर्व निदेशक सुरजीत सिंह अरोड़ा को गिरफ्तार कर लिया। यह इस मामले में पांचवी गिरफ्तारी है। वहीं दूसरी तरफ मामले में आरोपी और ॥ष्ठढ्ढरु ग्रुप के प्रमोटर राकेश और सारंग वाधवन ने अपनी प्रॉपर्टी बेचकर बैंक का बकाया चुकाने के लिए रिजर्व बैंक से अपील की है। जिन प्रॉपर्टीज को बेचने की बात कही गई है उनमें याच, रॉल्स रॉयस और एयरक्राफ्ट शामिल हैं। इससे पहले बुधवार को ईओडब्लू के विशेष जांच दल (एसआईटी) ने सुरजीत को पूछताछ के लिए बुलाया था। सुरजीत बैंक के निदेशक होने के साथ ही बैंक की ऋण समिति में भी शामिल थे। पूछताछ के बाबत एक अधिकारी ने बताया, घोटाले में उनकी भूमिका सामने आ गई है। वह ऋण मंजूरी प्रक्रिया में शामिल थे।
बता दें कि इस घोटाले में सुरजीत से पहले हाउसिंग डेवलेपमेंट इंफ्रास्ट्रक्चर लिमिटेड (एचडीआइएल) अध्यक्ष एवं प्रबंध निदेशक राकेश वधावन, उनके पुत्र सारंग वधावन, पीएमसी बैंक के पूर्व अध्यक्ष वर्यम सिंह और पूर्व प्रबंध निदेशक जॉय थॉमस को गिरफ्तार किया जा चुका है। बैंक घोटाले के तीन आरोपित 23 अक्टूबर तक न्यायिक हिरासत में- मुंबई की मेट्रोपोलिटन मजिस्ट्रेट अदालत ने बुधवार को पीएमसी बैंक घोटाले के तीन आरोपितों को 23 अक्टूबर तक के लिए न्यायिक हिरासत में भेज दिया। इनमें हाउसिंग डेवलेपमेंट इंफ्रास्ट्रक्चर लिमिटेड (एचडीआईएल) के अध्यक्ष एवं प्रबंध निदेशक राकेश वधावन, उनके पुत्र सारंग वधावन और पीएमसी बैंक के पूर्व अध्यक्ष वर्यम सिंह शामिल हैं। पीएमसी बैंक के पूर्व प्रबंध निदेशक जॉय थॉमस की पुलिस हिरासत अवधि भी 17 अक्टूबर को समाप्त हो रही है। उधर, अदालत के बाहर बैंक के कई जमाकर्ताओं ने विरोध प्रदर्शन भी किया। वे अपना पैसा वापस किए जाने की मांग कर रहे थे। 


अयोध्या विवाद: सुप्रीम कोर्ट के आने वाले फैसले पर बाबरी मस्जिद के पक्षकार ने कही बड़ी बात
कोर्ट के फैसले को स्वीकार करेंगे और फैसले को चुनौती के लिए कोई याचिका दाखिल नहीं करेंगे
अयोध्या। बाबरी मस्जिद के पक्षकार इकबाल अंसारी ने कहा है कि वह राम जन्मभूमि-बाबरी मस्जिद मामले में सुप्रीम कोर्ट के फैसले को स्वीकार करेंगे और फैसले को चुनौती देते हुए कोई याचिका दाखिल नहीं करेंगे। इकबाल अंसारी ने कहा कि वह खुश हैं कि मामला अब अपने तार्किक अंजाम तक पहुंच रहा है। अंसारी के पिता हाशिम अंसारी बाबरी मस्जिद मामले में सबसे पुराने वादी थे। उन्होंने कहा, लगभग 70 वर्षों से, अयोध्या में विवाद की वजह से राजनीति हो रही है और मैं उम्मीद करता हूं कि शहर में कुछ विकास होगा। इकबाल अंसारी ने कहा कि वह अपने पिता द्वारा शुरू की गई लड़ाई और उनके द्वारा किए गए वादे को अंजाम तक पहुंचाने के लिए प्रतिबद्ध हैं।
इकबाल ने कहा, मेरे पिता की मौत जुलाई 2016 में हुई। वह 95 वर्ष के थे। वह एक दर्जी के रूप में काम करते थे और बाद में फिर साइकिल मरम्मत करने की दुकान खोली। वह बाबरी मस्जिद मामले से 1949 से जुड़े हुए हैं और उनलोगों में शामिल हैं जिन्हें मस्जिद में राम की मूर्ति स्थापित करने के समय सार्वजनिक सौहार्द बिगाडऩे के आरोप में गिरफ्तार किया गया था। हाशिम अंसारी को 1952 में विवादित स्थल में नमाज अदा करने के लिए दो वर्ष की कारावास की सजा सुनाई गई थी।


बिहार को लेकर अमित शाह का बड़ा बयान - नीतीश कुमार के नेतृत्व में ही लड़ा जाएगा विधानसभा चुनाव
नई दिल्ली। बिहार में भाजपा और जेडीयू के बीच जारी शीतयुद्ध के बीच भाजपा राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह का बड़ा बयान सामने आया है। शाह ने कहा है कि अगले साल बिहार में होने जा रहे विधानसभा चुनाव को भाजपा-जेडीयू का गठबंधन साथ मिलकर लड़ेगा। यह चुनाव वर्तमान सीएम नीतीश कुमार के नेतृत्व में लड़ा जाएगा। अमित शाह का यह बयान उस वक्त सामने आया है जब कई मुद्दों को लेकर भाजपा और जनता दल (यूनाइटेड) के बीच खींचतान सामने आ चुकी है। अमित शाह के इस बयान के बाद प्रदेश की राजनीति में हलचल मचना भी लाजमी है। न्यूज 18 को दिए एक्सक्लूसिव इंटरव्यू में अमित शाह ने नीतीश कुमार के नेतृत्व में ही विधानसभा चुनाव लड़े जाने की बात कही थी।
अमित शाह ने इंटरव्यू के दौरान कहा कि 'बिहार में भाजपा और जदयू का गठबंधन अटल है और अगले चुनाव में दोनों दल साथ मिलकर लड़ेंगे। जनता दल (यू) और भाजपा चुनाव साथ लड़ेगी और यह नीतीश जी के नेतृत्व में लड़ा जाएगा। यह पूरी तरह से साफ है। इसके साथ ही अमित शाह ने कहा कि राष्ट्रीय स्तर पर दोनों ही पार्टियां प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में काम कर रही हैं। और राज्य में दोनों ही पार्टियां वर्तमान मुख्यममंत्री के नेतृत्व में कार्य कर रही हैं।
दोनों ही दलों के बीच मतभेदों को लेकर किए गए सवाल पर गृहमंत्री शाह ने कहा कि 'गठबंधन में हमेशा मतभेद रहते हैं और इसे एक स्वस्थ्य गठबंधन का मापदंड माना जाना चाहिए। बस मतभेद में मनभेद नहीं बढऩा चाहिए।
बता दें कि दोनों दलों के बीच मतभेद उस वक्त उभरे थे जब मोदी सरकार की कैबिनेट में जदयू को सिर्फ ही सीट दी जा रही थी। इससे खफा होकर नीतीश कुमार ने कैबिनेट में एक सीट लेने से भी मना कर दिया था। इसके बाद जहां जदयू ने सरकार में शामिल होने से मना कर दिया था वहीं बाद में राज्य की कैबिनेट विस्तार में नीतीश कुमार द्वारा विस्तार करते हुए जेडीयू के नेताओं को ही जगह दी थी