मिग-27 ने भरी आखिरी उड़ान, रिटायरमेंट पर दी गई वाटर कैनन की सलामी; भावुक हुए पायलट 

मिग-27 ने भरी आखिरी उड़ान, रिटायरमेंट पर दी गई वाटर कैनन की सलामी; भावुक हुए पायलट 



जोधपुर। 40 साल तक सरहद को महफूज रखने वाले 7 मिग-27 वायुसेना से रिटायर हो गए। बहादुर नाम से मशहूर इन फाइटर प्लेन को रिटायरमेंट पर वाटर कैनन की सलामी दी गई। इस दौरान इन्हें उड़ाने वाले 50 पूर्व पायलट भी जोधपुर एयरबेस पर मौजूद थे। एयरफोर्स की परेड के बाद जब एक-एक करके इन विमानों ने उड़ान भरी तो पायलट भावुक हो उठे। एयरबेस पर लैंडिंग के बाद फाइटर जेट्स को वाटर कैनन की सलामी दी गई। 
ऐसे होता है वायुसेना के विमान का रिटायरमेंट
अंतिम उड़ान से लौटने के बाद सभी मिग-27 विमान के पायलटों ने इसकी उड़ान डायरी और फार्म-700 जोधपुर एयरबेस के कमांडर फिलिप थामस को सौंपे। कमांडर थामस ने एओसी-इन-सी एयर मार्शल एसके गोटिया को यह दस्तावेज सौंपे। इसके बाद विमानों के रिटायर होने की औपचारिक प्रक्रिया पूरी हुई। दरअसल, प्रत्येक विमान की एक डायरी होती है। इसमें संबंधित विमान की पहली उड़ान भरने से लेकर आखिर तक की संपूर्ण जानकारी होती है जबकि फार्म 700 को रिटायरमेंट के मौके पर भरा जाता है। 
सभी पार्ट्स को निकाल लिया जाएगा- वायुसेना के एक अधिकारी ने बताया कि सभी सात मिग-27 फिलहाल जोधपुर एयर बेस पर ही खड़े रहेंगे। इनके रिटायरमेंट की जानकारी रक्षा मंत्रालय को भेजी जाएगी। रक्षा मंत्रालय कई बार विभिन्न शहरों या संस्थानों में प्रतीक के तौर पर पुराने विमानों को प्रदर्शन के लिए रखने के लिए उपलब्ध कराता है। रक्षा मंत्रालय के निर्देश पर अगर इन विमानों को कहीं भेजा जाता है तो भेजने से पहले इसके महत्वपूर्ण कलपुर्जे बाहर निकाल लिए जाते हैं।
जोधपुर एयरबेस स्क्वाड्रन नंबर 29, स्कॉर्पियो का 65 साल पुराना सफर अस्थाई तौर पर आज थम गया। जब नए फाइटर आएंगे, तब ये स्क्वाड्रन दोबारा आॅपरेशनल हो जाएगी। इस स्क्वाड्रन की स्थापना 10 मार्च 1958 को हलवारा (पंजाब) में की गई थी। उस समय इसमें आॅरेंज तूफानी विमान थे। इसके बाद निरंतर विमान बदलते रहे, जिनमें मिग 21 टाइप 77, मिग 21 टाइप 96, मिग 27 एमएल, मिग 27 अपग्रेड थे। मिग 27 को 2006 के बाद अपग्रेड किया गया था।